चतुर सियार की कहानी – Hindi Moral Story on Wisdom for Kids

यह कहानी एक चालाक सियार की है जो अपनी बुद्धि से संकट से बाहर निकलता है। यह कहानी बच्चों के लिए प्रेरणादायक है और हमें सिखाती है कि मुसीबत में भी बुद्धि से काम लिया जाए।

हर इंसान के जीवन में ऐसा समय आता है जब वह दूसरों की ज़िंदगी को देखकर अपनी हालत से असंतुष्ट महसूस करने लगता है। कभी-कभी यह भावना प्रेरणा देती है, लेकिन अक्सर यह ईर्ष्या (जलन) में बदल जाती है। आज की यह नैतिक कहानी एक ऐसे ही गधे की है, जो अपने साथी बकरी की ज़िंदगी देखकर ईर्ष्या करने लगा। यह प्रेरणादायक कहानी बच्चों, छात्रों और बड़ों – सभी के लिए एक ज़रूरी सीख है कि हमें हमेशा अपनी भूमिका को समझना चाहिए और दूसरों से तुलना नहीं करनी चाहिए।

सियार की नैतिक कहानी – Hindi Moral Story for Kids

🏡 कहानी की शुरुआत – गाँव, किसान और उसके जानवर

बहुत समय पहले की बात है। एक हरे-भरे गाँव में रामलाल नाम का एक साधारण किसान रहता था। उसके पास एक छोटा खेत था, दो जानवर – एक गधा और एक बकरी – और एक मिट्टी का घर, जिसमें वह अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ खुशी से जीवन बिता रहा था।

गधा उसका मेहनती साथी था। वह रोज़ सुबह उठकर किसान के साथ खेतों में जाता, बोझ उठाता, लकड़ियाँ ढोता, और अनाज की बोरियाँ बाजार तक पहुंचाता। वहीं बकरी को घर में ही रखा गया था। बच्चे उससे खेलते, वह आंगन में चहकती, कभी घर की चौकी पर बैठ जाती, और पूरे दिन आराम करती।

गधा जब भी खेत से थक कर लौटता, उसे बकरी की ज़िंदगी बहुत आरामदायक लगती।


😒 गधे के मन में ईर्ष्या घर करती है

एक दिन गधा थका-मांदा खेत से लौटा और देखा कि बकरी आंगन में हरी घास खा रही है और बच्चों के साथ खेल रही है। उसने सोचा:

मैं दिनभर पसीना बहाता हूं, खेतों में काम करता हूं, बोझ उठाता हूं… और ये बकरी मज़े कर रही है? न कोई काम, न जिम्मेदारी।

धीरे-धीरे गधा बकरी की ओर जलन की नजरों से देखने लगा। उसे लगने लगा कि किसान उसे अनदेखा करता है और बकरी को ज़्यादा प्यार देता है।

गधे ने मन में ठान लिया कि अब वह भी बकरी की तरह ही व्यवहार करेगा – आराम पसंद और ज़िम्मेदारी से दूर।


🧠 गधे की योजना – अब मैं बकरी बनूंगा

अगली सुबह खेत जाते समय गधे ने पहली बार चुप्पी तोड़ी और कुछ कहने लगा।

"मालिक, बकरी को कुछ काम नहीं करना पड़ता, और आप उसे ज़्यादा दुलार करते हो। मैं मेहनत करता हूं, लेकिन मेरी कद्र नहीं होती।"

किसान ने गंभीरता से कहा,

"गधे, हर किसी का अपना काम और महत्व होता है। बकरी घर की रखवाली करती है, बच्चों को company देती है। तुम्हारे बिना मेरा खेती करना असंभव है।"

लेकिन गधा समझना नहीं चाहता था।

उसी दिन खेत में पहुँचते ही गधा ज़मीन पर लेट गया और चलने से मना कर दिया। वह बकरी की तरह मिमियाने लगा, मानो कह रहा हो – “मैं अब काम नहीं करूंगा।”


👨‍🌾 किसान का गुस्सा और गधे की अनदेखी

किसान गधे की हरकतों को देखकर पहले तो चकित हुआ, फिर नाराज़ हो गया। उसने गधे से कहा:

“अगर तुम काम नहीं करोगे, तो खाने की भी उम्मीद मत रखना।”

उस दिन के बाद किसान ने गधे को खेत ले जाना बंद कर दिया। उसकी जगह उसने पास वाले गाँव से एक बैल किराए पर लेना शुरू कर दिया। गधा अब खाली बैठा रहता था।

शुरुआत में गधे को अच्छा लगा।

“अब कोई बोझ नहीं, कोई मेहनत नहीं!”

लेकिन धीरे-धीरे सच्चाई सामने आने लगी।

अब उसे खाना कम मिलता था, कोई प्यार से बात नहीं करता था, और किसान के बच्चे भी उससे दूर हो गए थे। वहीं बकरी अब भी खुश थी – बच्चों की साथी, परिवार की प्यारी।

गधा उदास रहने लगा।


😞 गधे का पछतावा और सीख

एक रात गधा चुपचाप आंगन में लेटा था। चाँदनी रात थी, और बकरी दूर बैठी बच्चों के साथ खेल रही थी।

गधे ने सोचा:

“मैंने बकरी से ईर्ष्या की, लेकिन उसकी ज़िंदगी आसान नहीं है। उसने अपना काम कभी नहीं छोड़ा। मेरी गलती थी… मुझे अपनी भूमिका को समझना चाहिए था।”

अगले दिन गधा खुद किसान के पास गया। उसने गर्दन झुकाकर कहा:

“मालिक, मुझसे गलती हुई। मैंने अपने कर्तव्य को छोड़ा, और बिना वजह जलन की। मुझे माफ कर दीजिए।”

किसान मुस्कराया और बोला:

“समझने वाला ही सच्चा साथी होता है। चलो, अब फिर से मिलकर खेत में मेहनत करते हैं।”

गधे की आंखों में खुशी के आंसू थे। उसने सीखा कि सच्चा सम्मान मेहनत से मिलता है, किसी की नकल से नहीं।

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🌟 कहानी से सीख:

👉 सीख: संकट आने पर घबराना नहीं चाहिए, बल्कि शांत दिमाग और समझदारी से काम लेना चाहिए।

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