आज मैं आपको एक ऐसे शख्स की सच्ची और प्रेरणादायक कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जिसकी रेसिपी को दुनिया ने 1009 बार ठुकरा दिया था। एक ऐसा इंसान जिसकी ज़िंदगी में एक के बाद एक हार मिलती रही, लेकिन फिर भी उसने कभी हार नहीं मानी। उसने अपने हौसले से एक ऐसा चमत्कार किया, जो पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन गया।
आज उसी शख्स द्वारा बनाई गई कंपनी KFC (Kentucky Fried Chicken) के 145 से भी ज्यादा देशों में 25,000 से अधिक आउटलेट्स हैं।
यह कहानी है KFC के फाउंडर कर्नल हारलैंड सैंडर्स की।
वो 9 सितंबर 1890 को अमेरिका के इंडियाना राज्य के हेनरीविल टाउन में पैदा हुए थे। उनके पिता का नाम विल्बर डेविड और माँ का नाम मार्गरेट ऐन सैंडर्स था। उनका परिवार काफी गरीब था। तीन भाई-बहनों में वे सबसे बड़े थे। जब वो सिर्फ 5 साल के थे, तभी उनके पिताजी का निधन हो गया, और पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई।
कर्नल सैंडर्स की जिंदगी की शुरुआत ही संघर्षों से भरी थी।
उनकी माँ एक फैक्ट्री में काम करती थीं और जो थोड़ा बहुत वे कमाती थीं, उसी से घर चलता था। चूंकि हारलैंड सबसे बड़े थे, इसलिए अपने छोटे भाई-बहनों की देखभाल भी उन्हीं को करनी पड़ती थी। वो खाना बनाना, घर संभालना और बाहर काम करना — सब करते थे।धीरे-धीरे उन्होंने खेतों में काम करना शुरू किया ताकि कुछ पैसे कमा सकें और माँ का हाथ बंटा सकें। जब वे 12 साल के हुए, तो उनकी माँ ने दूसरी शादी कर ली। लेकिन उनके नए सौतेले पिता उन्हें पसंद नहीं करते थे। ऐसे में उन्होंने अपना घर छोड़ दिया और अपनी चाची के साथ रहने चले गए। वहाँ भी उन्होंने खेतों में मज़दूरी की, दिन-रात काम किया।
16 साल की उम्र में उन्होंने एक ऐसा कदम उठाया जो उनकी पहली बड़ी गलती थी।
उन्होंने अपनी उम्र छुपाकर आर्मी जॉइन कर ली। कुछ समय तक वे सेना में रहे, लेकिन उनकी असल उम्र सामने आने के बाद उन्हें बाहर निकाल दिया गया।
यह उनके जीवन का पहला ऐसा मोड़ था जहाँ उन्हें सीख मिली — कि झूठ से कभी सच्ची कामयाबी नहीं मिलती।
फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने रेलवे में मजदूरी की, लेकिन वहाँ भी एक झगड़े के कारण नौकरी चली गई। तब वे फिर अपनी माँ के पास लौट आए।
शादी के बाद भी उनका संघर्ष जारी रहा। उन्होंने कई छोटे-बड़े काम किए — जैसे क्रेडिट कार्ड बेचना, बीमा पॉलिसी बेचना, और यहां तक कि ट्रेन में टिकट काटना।
हर बार जब वो गिरते, तो फिर उठते थे।
वे हर उस काम में हाथ आजमाते जहाँ उन्हें लगता कि शायद यहीं से उन्हें सफलता मिल जाए।
KFC की शुरुआत की ये संघर्षभरी कहानी हमें यही सिखाती है — सफलता एक दिन में नहीं मिलती, लेकिन जो व्यक्ति बार-बार गिरकर भी उठता है, वही एक दिन इतिहास बनाता है।
जब हारलैंड सैंडर्स सिर्फ अपना साधारण नाम इस्तेमाल करते थे और "कर्नल" नहीं बने थे, तब उन्होंने एक शिपबिल्डिंग कंपनी की शुरुआत की थी। हैरानी की बात ये है कि इस क्षेत्र में कदम रखते ही उन्हें तुरंत सफलता मिलने लगी। उन्होंने पैसे कमाने शुरू किए, मुनाफा होने लगा। तो जब मुनाफा बढ़ा, तो उन्होंने सोचा कि मैं केमिकल लैम्प्स बनाऊंगा। इसलिए वो लैम्प्स बनाने की तैयारी कर रहे थे, उन्होंने पहले ही पैसे लगा दिए थे। उस वक्त एक बड़ी कंपनी थी जो ऐसे लैम्प्स बाजार में ला रही थी। और उन्हें समझ आ गया कि मैं यहाँ टिक नहीं पाऊंगा। तो पूरा पैसा और प्रोजेक्ट बेकार चला गया।
वो एक इंश्योरेंस एजेंट के तौर पर भी काम करता था। सीखने वाली बात नंबर 2 ये है कि जब तक मंजिल नहीं मिलती, चलते रहो। चलते रहो जब तक अपनी मंजिल तक न पहुँच जाओ। जैसा कि मैं कह रहा था, वो इंश्योरेंस एजेंट भी था। वहां भी उसे ज्यादा सफलता नहीं मिली। उसने थोड़ी कानून की पढ़ाई की। वो वकील बन गया। एक बार कोर्टरूम से भी बाहर कर दिया गया था जहां उसकी लड़ाई हुई थी। लेकिन एक बात जो उसने की, वो ये कि उसने हार नहीं मानी। मंजिल तक कैसे पहुंचना है, चलो आगे बढ़ते हैं।
कर्नल हारलैंड सैंडर्स को बहुत सारी हारें मिलीं। उन्होंने हर हार से ये सीखा कि क्या नहीं करना चाहिए। उनकी उम्र 40 साल थी। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि सफलता का रास्ता उनके लिए क्या है, उन्हें कहाँ जाना है। उन्होंने एक पेट्रोल पंप पर काम करना शुरू किया। फिर मंदी आ गई। उनकी जिंदगी का वक्त बहुत मुश्किल था। वो पेट्रोल पंप भी बंद हो गया। फिर उन्हें एक सर्विस स्टेशन में नौकरी मिली, मुनाफा बांटने के आधार पर। वहाँ भी काम कम था। तब उन्होंने सोचा।
मैं सिर्फ इस काम के सहारे जिंदगी नहीं बिता सकता — यह सोच मेरे ज़हन में गूंज रही थी। तभी मुझे एहसास हुआ कि एक चीज़ तो है जो मैं बचपन से करता आया हूँ और जो मुझे सच्ची खुशी देती है — खाना बनाना। अब मैंने तय किया, मैं इसी को अपना रास्ता बनाऊंगा। वहाँ एक सर्विस स्टेशन था। उसने उसके पास एक छोटा ठेला लगा दिया। और जो भी वहाँ आता, उसे खुद से बने फ्राइड चिकन मुफ्त में खिलाने लगा। शुरू-शुरू में वो मुफ्त में खिला रहा था। फिर धीरे-धीरे उसे समझ आया कि लोगों को उसका स्वाद पसंद आता है। लोग सिर्फ चिकन खाने के लिए वहाँ आते थे। तो उसने सड़क के किनारे एक छोटा सा रेस्टोरेंट खोल लिया।
धीरे-धीरे वहाँ ग्राहक बढ़ने लगे। इसलिए उन्होंने सर्विस पंप का काम छोड़ दिया और सिर्फ रेस्टोरेंट चलाने लगे। एक बार केंटकी के गवर्नर वहाँ से गुजर रहे थे। उन्हें भी भूख लगने पर उन्होंने कहा, "चलो, इस रेस्टोरेंट में कुछ खा लेते हैं।" वे वहाँ रुके और फ्राइड चिकन चखते ही उनका दिल खुश हो गया। स्वाद इतना बेहतरीन था कि उन्होंने हारलन सैंडर्स को सम्मान स्वरूप 'केंटकी कर्नल' की उपाधि प्रदान की। और ये चिकन के नाम से मशहूर होने लगा - केंटकी कर्नल। और ये सज्जन बन गए कर्नल हारलन सैंडर्स।
उस रेस्टोरेंट में सब कुछ ठीक चल रहा था। 3-4 साल बाद कर्मचारियों के बीच लड़ाई हो गई। लड़ाई इतनी बढ़ गई कि रेस्टोरेंट बंद करना पड़ा। कर्नल हारलन सैंडर्स ने दूसरा रेस्टोरेंट खोला। लेकिन शायद जिंदगी कुछ और चाहती थी। जो दूसरा रेस्टोरेंट उन्होंने खोला, उसमें आग लग गई और वह पूरी तरह जल गया। फिर उन्होंने तीसरा रेस्टोरेंट खोला। लेकिन उस वक्त विश्व युद्ध चल रहा था। फिर मंदी भी आई। तब भी वो बंद हो गया। लेकिन जब तक वे यहाँ तक पहुंचे, कर्नल हारलन सैंडर्स को एहसास हो गया।
KFC Success Story in Hindi – जीत की भूख
जब कर्नल हारलंड सैंडर्स ने यह समझ लिया कि उन्हें जिंदगी में क्या नहीं करना और किस दिशा में आगे बढ़ना है, तो उन्होंने पूरी ताकत उसी में झोंक दी। उन्हें एहसास हो गया था कि फ्राइड चिकन ही वो चीज़ है, जो उन्हें दुनिया का सबसे बड़ा आदमी बना सकती है। अब उन्हें सिर्फ एक चीज़ पर काम करना था — अपनी रेसिपी पर।
अब तक आप समझ ही चुके होंगे कि कर्नल सैंडर्स कोई आम इंसान नहीं थे। वो एक ऐसे इंसान थे जिनके भीतर हार न मानने का ज़बरदस्त जुनून था। अक्सर जब हम बड़े सपने देखते हैं, तो आस-पास के लोग कहते हैं, “तुमसे नहीं होगा।” लेकिन जिस दिन इंसान खुद से ठान लेता है, उसी दिन उसकी “जीत की शुरुआत” हो जाती है।
मजबूत इरादा रखो, मंज़िल खुद नज़दीक आ जाएगी
कर्नल सैंडर्स की ज़िंदगी में 3 बार रेस्टोरेंट बंद हुए — एक बार कर्मचारियों की लड़ाई से, एक बार आग लगने से और एक बार मंदी के कारण। लेकिन उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि “अब और नहीं।”
बल्कि उन्होंने कहा —
“अगर मेरी पहचान बनेगी, तो इसी फ्राइड चिकन से बनेगी।”
अब उन्होंने ठाना कि वो अपनी रेसिपी बेचेंगे, खुद का रेस्टोरेंट नहीं खोलेंगे। क्योंकि तीन बार कोशिश कर चुके थे — और तीनों बार हालातों ने उन्हें रोक लिया।
उन्होंने अलग-अलग रेस्टोरेंट्स में जाकर कहा, “मेरी रेसिपी लो, अपना बिजनेस बढ़ाओ।” लेकिन 1,009 बार उन्हें मना कर दिया गया — 1,009 बार ठुकराया गया!
धैर्य रखो, सफलता के बीज वहीं बोए जाते हैं जहां सबसे ज्यादा ठोकरें लगती हैं
कर्नल सैंडर्स अपनी कार में रात बिताते थे। अगले दिन सुबह होते ही वे हर नए रेस्टोरेंट के दरवाजे पर खड़े होते। जब मालिक आते, वो उन्हें समझाते — “मेरी रेसिपी आज़माइए, आपको फर्क दिखेगा।”
और एक दिन, आख़िरकार एक रेस्टोरेंट ने हाँ कह दी। उन्होंने उस रेसिपी से फ्राइड चिकन बनाना शुरू किया — और कस्टमर लाइन में लगने लगे।
फिर बाकी रेस्टोरेंट्स ने भी कहा — “हमें भी ऐसा ही स्वाद चाहिए।”
और यहीं से शुरू हुई — KFC फ्रैंचाइज़ी की सफलता की कहानी।
1964 तक KFC के 600 से ज्यादा आउटलेट्स खुल चुके थे।
हालाँकि, कर्नल सैंडर्स का धैर्य यहाँ आकर टूट गया। उन्होंने एक निवेशक से 2 मिलियन डॉलर में KFC के अधिकार बेच दिए। जबकि अगर वो थोड़ा और इंतज़ार करते, तो शायद वो अरबों डॉलर के मालिक बन सकते थे। लेकिन फिर भी, उन्होंने एक ऐसे ब्रांड को जन्म दिया जो आज भी 25,000+ आउटलेट्स और 145+ देशों में लोगों के दिलों में बसा है।
उन्होंने अपनी आखिरी सांस 16 दिसंबर 1980 को ली — लेकिन उनकी कहानी आज भी लोगों को जीने की उम्मीद देती है।
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6 साल बाद क्या हुआ? मुझे नहीं पता ये कंपनी कहाँ पहुंच गई। पेप्सिको ने इसे खरीद लिया। 840 मिलियन डॉलर का सौदा हुआ। हालांकि उस वक्त कर्नल सैंडर्स वहाँ नहीं थे, लेकिन जब दूसरी कंपनी ने इसे खरीदा, तब भी ये एक बड़ा सौदा था। मेरा मतलब ये है कि अगर वे थोड़ा और इंतजार करते, तो शायद ज्यादा कमा सकते थे, लेकिन उन्होंने वहीं इंतजार नहीं किया। उन्होंने सोचा शायद यही उनकी तक़दीर थी। शायद उन्हें ये भी पता नहीं था कि उन्होंने कौन सी रेसिपी बनाई थी, कौन सी खोज की थी, कौन सा नुस्खा तैयार किया था।
दुनिया को ये बताया गया है कि आज KFC के 25,000 से ज्यादा आउटलेट्स हैं। लेकिन शुरुआत से दो चीजें हमेशा एक जैसी रहीं। पहली रेसिपी और दूसरी कर्नल सैंडर्स का चेहरा, जिसे पूरी दुनिया KFC अंकल के नाम से जानती है। और जाने से पहले, KFC अंकल ने तीन जबरदस्त बातें कही। पहली, अगर तुम्हें कोई हार मिलती है, तो उसे सीढ़ी की तरह इस्तेमाल करो। एक और सीढ़ी चढ़ो और तुम अपने मकसद तक पहुंच जाओगे। दूसरी, तुम्हारी मेहनत दुनिया के हर टॉनिक और विटामिन को हरा सकती है। और तीसरी, अगर तुम्हें सपने देखना पसंद है, अगर तुम थकते नहीं हो...
अगर आपको यह प्रेरणादायक कहानी पसंद आई हो, तो इसे अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करें। क्या आप भी किसी सपने के पीछे भाग रहे हैं? तो नीचे कमेंट में बताएं – आपको कर्नल सैंडर्स की कौन सी बात सबसे ज्यादा प्रेरित करती है?
KFC की कहानी और कर्नल सैंडर्स की प्रेरणा
क्या KFC भारत में हलाल है?
भारत में कई KFC आउटलेट्स में हलाल सर्टिफाइड चिकन परोसा जाता है। हालाँकि, यह स्थान विशेष पर निर्भर करता है। स्थानीय KFC स्टोर से पुष्टि ज़रूर करें।
KFC का फुल फॉर्म क्या है?
KFC का फुल फॉर्म है Kentucky Fried Chicken। इसकी शुरुआत अमेरिका के केंटकी राज्य से हुई थी।
KFC की स्थापना कब हुई?
KFC की शुरुआत 1952 में कर्नल हारलैंड सैंडर्स द्वारा की गई थी।
KFC के मालिक कौन हैं?
वर्तमान में KFC Yum! Brands कंपनी के अंतर्गत आता है, जो Pizza Hut और Taco Bell की भी मालिक है।
KFC किस देश का ब्रांड है?
KFC एक अमेरिकी ब्रांड है जिसकी जड़ें केंटकी, USA में हैं।
घर पर KFC जैसा फ्राइड चिकन कैसे बनाएं?
आप घर पर भी KFC जैसा फ्राइड चिकन बना सकते हैं। इसके लिए बटर मिल्क, मैदा, कॉर्नफ्लोर और कुछ खास मसाले जैसे पेपरिका, लहसुन पाउडर, और ओरिगेनो का उपयोग करें। चिकन को पहले मेरिनेट करें और फिर डीप फ्राय करें।